श्मशान की तरफ पीछे मुड़ कर क्यों नहीं देखते?

Spread the love

नमस्कार दोस्तों, मैं हूँ आपकी दोस्त, आपकी ब्लॉगर दिक्षा. आज हम एक ऐसे अद्भुत विषय पर चर्चा करेंगे जिसने हमें हमारे असली अस्तित्व की ओर मोड़ने के लिए प्रेरित किया है – दाह संस्कार.

आत्मा का अविनाशी सफर 

जब शरीर दाह संस्कार के द्वारा भस्म हो जाता है, तो क्या आत्मा भी साथ में जल जाती है? नहीं, आत्मा अमर और अविनाशी है, यह वेदांत का अमृत है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में आत्मा को अजर, अमर, और अविनाशी बताया है।

Also Read:   झाड़ू का यह सही प्रयोग करता है मां लक्ष्मी को प्रसन्न होता है धन का लाभ

गरुड़ पुराण का सन्देश: मोह के बंधन से मुक्ति

गरुड़ पुराण ने हमें यह सिखाया है कि दाह संस्कार के बाद, मृतक की आत्मा अपने परिजनों के साथ मोह में नहीं पड़नी चाहिए। मोह का बंधन तोड़ने के लिए पीछे न मुड़कर देखना आवश्यक है।

मोह का टूटना 

दाह संस्कार के बाद, अगर हम परिजनों को पीछे मुड़कर नहीं देखते, तो आत्मा को एक संकेत मिलता है कि वह अपने कर्मों के फलस्वरूप इस लोक से प्रस्थान करने के लिए तैयार है। मोह का टूटना हमें मोक्ष की दिशा में आगे बढ़ने में सहायक होता है।

Also Read:   पैसा बरसाने का 8 चमत्कारिक टोटके, जो भिखारी को भी मालामाल कर दे

इसलिए, दोस्तों, दाह संस्कार के बाद जब तुम पीछे मुड़कर नहीं देखते, तो यह आत्मा के अनंत सफर का एक महत्वपूर्ण कदम होता है। मोह का टूटना, आत्मा को मुक्ति की ऊँचाईयों तक ले जाता है।


Spread the love