तुलसी के पेड़ को Bancil पौधे के नाम से भी जाना जाता है| हिन्दू धर्म में तुलसी काफी पवित्र माना जाता हैं| इसका use भगवान विष्णु की पूजा मे जरूर इस्तेमाल किया जाता हैं| tulsi में औषधि गुण भी पाये जाते हैं| तुलसी की पत्ती को मरे हुए के मुँह में रखा जाता है ताकि वह वैकुंठ व भगवान विष्णु के निवास मे पहुँच जाये | जो तुलसी विष्णु जी को पसंद वह भगवान गणेश जी को बिलकुल पसंद नही है |
इतनी अप्रिय हैं कि इन की पूजा मे इस का इस्तेमाल करना वजित॔ हैं| हिन्दू धर्म में हर पूजा मे तुलसी का अलग महत्व होता हैं लेकिन तुलसी को भगवान शिव और गणपती की कोई भी पूजा मे नही चढ़ाई जाती हैं तो आइए हम जानते हैं कि भगवान श्री गणेश को क्यो नही चढ़ाई जाती है तुलसी-
तपस्या भंग की माता तुलसी
पौराणिक कथा के अनुसार गणेश जी गंगा के किनारे तप कर रहे थे|तभी वही पर माता तुलसी विवाह की तपस्या की तीथ॔ यात्रा कर रही थी तभी भम्रण करते हुए | गंगा तट पर पहुँची वही पर उन्होंने गणेश जी को देखा और उन पर मोहित हो गई |
गणेश जी रत्न से जडे सिंहासन पर बैठै थे और उन के शरीर पर चंदन लगा था | गले मे स्वण॓ रत्न पडे थे इस रूप को देख कर तुलसी माता ने उन से विवाह का मन बना लिया| तुलसी माता उन की तपस्या भंग करके विवाह का प्रस्ताव रखा| तपस्या भंग करने पर भगवान गणेश ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया औ कहा में में ब्रहमचारी हु |
गणेश जी का श्राप
भगवान श्री गणेश की तपस्या भंग करने पर उन्होंने माता तुलसी को विवाह करने से मना कर दिया| इसी में तुलसी माता ने गणेश जी को श्राप दिया और कहा उनके दो विवाह होगे| उन की बात सुनकर गणेश जी ने भी श्राप दिया और कहा उन का विवाह एक राक्षस से होगा | यह श्राप सुनकर तुलसी माता ने श्री गणेश से माफी मागी तभी क्षमा देते हुए कहा कि तुम विष्णु और कृष्ण की प्रिय रहोगी और संसार केो जीवन मोक्ष दोगी पर मेरी पूजा मे तुलसी चढाना अशुभ माना जायेगा| तभी से भगवान श्री गणेश को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है|