पितृपक्ष में भूलकर भी ना यह करें हैं गलतियां नहीं तो बन सकते हैं पाप के भागी

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भाद्रपद मास की पूर्णिमा (poornima)  से श्राद्ध पक्ष आरंभ हो जाता है| यह पूर्णिमा तिथि से आरंभ होकर अमावस्या तक चलता है|

हिंदू धर्म में श्राद्ध का विशेष महत्व माना जाता है, धर्म शास्त्री यह मानते हैं कि इस दिन यमराज पितरों की आत्मा को स्वतंत्र करके अपने परिजनों के घर भेजते हैं ताकि वह श्राद्ध के भोजन को ग्रहण कर सकें

हिंदू धर्म में मान्यता है कि यदि आप श्राद्ध पक्ष में कोई भी गलती करते हैं तो आपको पित्र दोष का भागी होना पड़ता है और यदि पित्र दोष लग जाए तो इसे सबसे बड़ा दोष माना जाता है | पित्र दोष के कारण असमय रोगो का आना व्यापार में तरक्की ना होना आदि समस्याएं मनुष्य को झेलनी पड़ती हैं|

पित्र पक्ष अमावस्या को सर्व पित्र अमावस्या कहा जाता है| यदि किसी कारणवश आप किसी श्राद्ध की तारीख को भूल गए हैं तो आप उस श्राद्ध को अमावस्या तिथि के दिन भी कर सकते हैं | अमावस्या को लोग पूजा-पाठ करते हैं, पितरों का तर्पण करते हैं और धन अथवा भोजन का दान ब्राह्मणों को करते हैं|

पितृपक्ष में भूलकर भी ना यह करें हैं गलतियां नहीं तो बन सकते हैं पाप के भागी

श्राद्ध तिथि

वर्ष 2021 में श्राद्ध पक्ष 20 सितंबर 2021 से आरंभ होकर 6 अक्टूबर 2021 तक चलेगा
अमावस्या तिथि का श्राद्ध 6 अक्टूबर 2021 को किया जाएगा

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श्राद्ध के लिए भोजन

श्राद्ध के लिए भोजन में लोग अक्सर खीर पूरी सब्जी आदि बनाना पसंद करते हैं और कुछ लोग श्राद्ध के लिए अपने पितरों का मनपसंद भोजन बनाते हैं लोग घरों में भोजन बनाकर पहले गाय कुत्ते और अग्नि को भोजन कराते हैं | उसके बाद ब्राह्मण और गरीबों को दान करते हैं, ऐसा करने से पित्र खुश होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं |

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पित्र पक्ष में वर्जित कार्य

हिंदू धर्म में कुछ ऐसे कार्य बताए गए हैं जो कि पित्र पक्ष में वर्जित माने जाते हैं और अगर आप इन कार्यों को पितृपक्ष में करते हैं तो आप अवश्य ही पाप के भागी जाते हैं
आइए जानते हैं वर्जित कार्यों के बारे में –

  • पितृपक्ष में बाल नहीं कटवाने चाहिए
  • पितृपक्ष में ना तो नए वस्त्र खरीदने चाहिए और ना ही नए वस्त्रों को धारण करना चाहिए
  • पक्ष में कभी भी कोई नया कार्य आरंभ ना करें
  • पितृपक्ष में अपने घर से कहीं और की यात्रा से हमेशा बचना चाहिए
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