नवरात्रि पर्व की समाप्ति के बाद 8 अक्टूबर को विजयदशमी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया | दशहरे के अगले दिन बुधवार यानी 9 अक्टूबर को अश्विन शुक्ल एकादशी के दिन का पापाकुंशा एकादशी का व्रत मनाया जाता है |
इस दिन श्री हरि विष्णु के पूजन का विशेष महत्व होता है और मनोवांछित फल देकर आने वाली एकादशी है पापाकुंशा |
- इस एकादशी के व्रत को करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और अक्षय पुण्य का भागी होता है
- जो मनुष्य केवल इस एकादशी का उपवास कर लेता है तो उसे यम के दर्शन नहीं होते
- सुंदर नारी मिलती है, धन धन की प्राप्ति होती है
- इस एकादशी व्रत को करने वाले मनुष्यों के मातृ पक्ष के 10 पुरुष पितृपक्ष के 10 पुरुष स्त्री पक्ष के 10 पुरुष सभी सुंदर आभूषणों से परिपूर्ण होकर विष्णुलोक को जाते हैं
- इस एकादशी के दिन भूमि को खड़ाऊ वस्त्र आदि का दान करने से भी पुण्य मिलता है
- इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार हर व्यक्ति को कुछ ना कुछ दान जरूर करना चाहिए
- पापाकुंशा एकादशी के दिन ताला बगीचा धर्मशाला प्याऊ आदि बनवाने का बहुत महत्व होता है और ऐसा कोई व्यक्ति करता है तो इस मनुष्य में दीर्घ आयु, उत्तम बुद्धि का होता है, उत्तम संतान प्राप्ति वाला होता है धन-धान्य से परिपूर्ण होता है और हर सुख को भोगता है अंत में स्वर्ग लोक को जाता है|